भोपाल। प्राइवेट स्कूलों में अपने बच्चों को पढ़ाना अब ज्यादा महंगा होने जा रहा है। सीबीएसई के मान्यता प्राप्त प्राइवेट स्कूलों ने बगैर किसी सूचना दिए 10 से 15 फीसदी तक फीस बढ़ा दी है। इस बढ़ोत्तरी से निश्चित ही बच्चों के अभिभावकों को ज्यादा झटका लगने वाला है। फीस के साथ ही इस बार यूनिफॉर्म, किताबें और बसों का किराया भी भारी पडऩे वाला है।
मध्यप्रदेश के सीबीएसई स्कूलों में बगैर कोई सूचना दिए फीस बढ़ाने का मामला सामने आया है। एक अप्रेल से नया शैक्षणिक सत्र शुरू हो रहा है। इस सत्र में भी अभिभावकों को स्कूल संचालकों की मनमानी का शिकार होना पड़ रहा है। निजी स्कूलों ने न केवल फीस में 10-15 फीसदी तक की बढ़ोतरी कर दी है, बल्कि यूनिफॉर्म, किताबें व समान दूरी का अलग-अलग परिवहन शुल्क भी अभिभावकों की जेब पर भारी पड़ रहा है। फीस रेगुलेशन एक्ट के तहत स्कूलों की फीस तीन साल के लेखाजो खा के आधार पर तय की जाना थी, स्थिति यह है कि इस साल भी जिला शिक्षा कार्यालय की ओर से स्कूलों से फीस तय करने के लिए आवेदन नहीं लिए गए हैं। न ही उनसे फीस के संबंध में कोई जानकारी मांगी गई। ऐसे में स्कूलों ने एक बार फिर मनमाने तरीके से फीस बढ़ा दी है।
नए शिक्षण सत्र में प्रस्तावित फीस स्ट्रक्चर क्या होगा, स्कूल की फीस में वृद्धि 10 प्रतिशत या उससे कम है। यह नए सत्र से 90 दिन पहले जानकारी अपलोड करना होगी। यदि पिछले शैक्षणिक सत्र की तुलना में फीस वृद्धि 10 प्रतिशत से अधिक और 15 प्रतिशत या उससे कम है तो जिला समिति को भेजना होगी, वह इस पर 45 दिन में निर्णय लेगी। यदि यह फीस वृद्धि 15 प्रतिशत से ज्यादा है तो जिला समिति 7 दिन में अपने अभिमत के साथ राज्य समिति को भेजेगी। जिला समिति निजी विद्यालय के प्रबंधन से ऐसी अतिरिक्त जानकारी या साक्ष्य मांग सकेगी कि वह फीस क्यों बढ़ा रहे हैं। फीस बढ़ाने पर निर्णय लेने से पहले समिति स्कूल प्रबंधन और छात्रों या पालक संगठनों का पक्ष भी ले सकेगी।
पालक महासंघ के महासचिव प्रबोध पंड्या का कहना है कि स्कूलों की फीस पर नियंत्रण करने के लिए चार साल पहले गाइडलाइन जारी की गई थी। गाइड लाइन के अनुसार तीन साल के लेखा-जोखा के आधार पर स्कूलों की फीस तय की जाना चाहिए। अब तक इसकी प्रक्रिया शुरू नहीं हो सकी है। स्कूलों ने इस साल भी 10 से 15 प्रतिशत तक फीस बढ़ा दी है।