जनकपुरी सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल में खत्म होगा सर्जरी का इंतजार
पश्चिमी दिल्ली स्थित जनकपुरी सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल में सर्जरी के लिए इंतजार जल्द खत्म हो सकता है। अस्पताल में रोजाना 1500 से अधिक मरीज आते हैं। इनमें बड़ी संख्या में ऐसे मरीज होते हैं जिन्हें स्पेशलाइज्ड सर्जरी की जरूरत होती है। लेकिन विभागों में सर्जन न होने के कारण इन्हें जीबी पंत सहित अन्य अस्पतालों में रेफर कर दिया जाता है।
फिलहाल जनकपुरी सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल के सीटीवीएस विभाग में एक सर्जन है। जो केवल माइनर ओटी की सेवाएं दे रहे हैं। यह दिल्ली सरकार का दूसरा सबसे बड़ा स्पेशलाइज्ड सेवाएं देने वाला अस्पताल है। इसके अलावा जीबी पंत में स्पेशलाइज्ड विभाग की सर्जरी की सुविधा उपलब्ध है। विशेषज्ञों की मानें तो दिल्ली में हृदय, मूत्र, किडनी और न्यूरो संबंधित विभाग के मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ रही है।
इस बारे में अस्पताल में वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि अलग-अलग विभागों में करीब 20 सर्जनों की नियुक्ति की प्रक्रिया शुरू की गई है। प्रयास है कि जल्द ही अस्पताल को सर्जन मिल जाए। सीटीवीएस, यूरोलॉजी, गैस्ट्रो सर्जरी और न्यूरो सर्जरी विभाग में 5-5 सर्जन आने के बाद यहां सर्जरी की संख्या तेजी से बढ़ सकेगी। अभी सर्जरी के लिए मरीजों को दूसरे अस्पतालों में रेफर किया जाता है।
मिल रही है डायलिसिस की सुविधा
अस्पताल में डायलिसिस के लिए 30 बेड की सुविधा उपलब्ध है। यह दिल्ली सरकार का पश्चिमी दिल्ली में सबसे बड़ा केंद्र है। इस केंद्र की मदद से गरीब लोगों को मुफ्त सुविधा उपलब्ध होती है। किडनी रोग विभाग के aडॉक्टरों ने बताया कि एक मरीज के डायलिसिस में तीन से चार घंटे का समय लगता है। अस्पताल में हर साल 15 हजार से अधिक लोगों की डायलिसिस होती हैं।
अस्पताल में एडवांस सुविधाओं के लैस कैथ लैब की सुविधा उपलब्ध है। यहां पर रोजाना औसतन 6 से 7 परीक्षण किए जाते हैं। डॉक्टरों का कहना है कि कैथ लैब वह जगह है जहां एब्लेशन, एंजियोग्राम, एंजियोप्लास्टी और पेसमेकर/आईसीडी के प्रत्यारोपण सहित परीक्षण और प्रक्रियाएं की जाती हैं। एक कैथ लैब में विभिन्न विशेषज्ञों की एक टीम होती है, इसका नेतृत्व हृदय रोग विशेषज्ञ करता है।
अस्पताल की ओपीडी में आ रहे मरीजों को अभी दवाइयों से उपचार की सुविधा दी जा रही है। अस्पताल में रोजाना आने वाले करीब 1500 मरीजों की ओपीडी में करीब 80 से 85 फीसदी मरीज फॉलोअप मरीज होते हैं, जबकि नए मरीजों की संख्या 15 से 20 फीसदी ही होती है। डॉक्टरों का कहना है कि हृदय रोगी, मूत्र रोगी, किडनी रोगी व न्यूरो संबंधित विकार से पीड़ित मरीजों में अधिकतर मरीजों का उपचार दवाइयों से ही हो जाता है। अस्पताल में इन्हें अभी पर्याप्त सुविधाएं मिल जाती हैं।