नोएडा । नोएडा के सुपर स्पेशियलिटी पीडियाट्रिक हॉस्पिटल अपनी बदहाली पर रो रहा है। यहां छत से सीवेज का पानी टपक रहा है तो वहीं मरीजों को साफ टॉयलेट नसीब नहीं हो रहे हैं। 240 बेड वाला अस्पताल 50 हजार वर्ग किलोमीटर में फैला है। यहां बच्चों के कैंसर का इलाज किया जाता है। यहां आने वाले मरीजों में बिहार, मध्य प्रदेश और राजस्थान से भी होते हैं। अस्पताल की हालत यह है कि पानी सीलिंग से टपककर विजिटर के कमरे में गिर रहा है। वॉशरूम से इतनी दुर्गंध आती है कि यह विजिटर के कमरे तक पहुंच जाता ही है। महिलाओं का वॉशरूम स्थायी रूप से बंद पाया गया। अस्पताल में भले 11 लिफ्ट हैं, लेकिन काम सिर्फ चार ही करते हैं। अस्पताल में हर तरफ चूहे भागते नजर आए। ऐसा बताया जा रहा है कि दो सप्ताह पहले ही एनआईसीयू की विजिटिंग रूम की छत टूटकर गिर गई थी जिसे बंद कर दिया गया है। अस्पताल के निदेशक डॉ.अरुण कुमार सिंह ने बताया कि अस्पताल की हालत जर्जर है। कंस्ट्रक्शन में ही खराबी है। हमारी बिल्डिंग में सीवेज का पानी माइनस टू बेसमेंट तक जाता है और पंप का इस्तेमाल कर ग्राउंड फ्लोर पर लाया जाता है। यहां बहुत लीकेज है और सीवेज रिसता रहता है। इस वजह से दीवार, छत हर चीज गिर रही है। इस अस्पताल का निर्माण 2015 में किया गया था। इसे नोएडा अथ़ॉरिटी ने बनवाया था। इसकी प्लानिंग 2008 में बीएसपी सरकार ने की थी और उद्घाटन सीएम अखिलेश यादव ने किया था। निदेशक का यह दावा है कि वह कुछ महीने पहले नोएडा अथॉरिटी के सीईओ से मिले थे और उन्होंने दो अधिकारियों को भेजा भी था, लेकिन उसके बाद से कुछ नहीं हुआ। उधर, मरीजों के परिजनों का कहना है कि स्थिति बहुत ही चिंताजनक और डरावनी है। एक महिला ने बताया कि मैं अपने बच्चे के लिए आई हूं। ऐसा लगता है कि बिल्डिंग कभी भी गिर जाएगी। एक मरीज के पिता ने कहा कि विजिटर रूम तक आने वाली गंध बर्दास्त के लायक नहीं है। वॉशरूम में पानी भरा रहता है।