दिल्ली। हिमाचल प्रदेश में हो रही भारी वर्षा से दिल्ली में यमुना नदी का जलस्तर फिर से बढ़ने की आशंका जताई जाने लगी है। तीन दिन से यमुना का जलस्तर खतरे के निशान (205.33 मीटर) के आसपास था। अब आज रविवार को दिल्ली में पुराना लोहा पुल के पास यमुना का जलस्तर 205.81 मीटर पहुंच गया है। 

दोपहर तक 206 के ऊपर पहुंच सकता है जलस्तर 

15 जुलाई के बाद से जलस्तर 206 मीटर से नीचे है, क्योंकि हथनी कुंड से कुछ दिन से प्रति घंटे एक लाख क्यूसेक से कम पानी छोड़ा जा रहा था, लेकिन अब एक बार फिर इसमें बढ़ोतरी होने लगी है। आज दोपहर तक जलस्तर 206 के ऊपर पहुंच सकता है।

13 जुलाई के बाद शनिवार 22 जुलाई की सुबह नौ बजे सर्वाधिक 1,47,857 क्यूसेक पानी छोड़ा गया, जो दोपहर तक बढ़कर प्रति घंटे दो लाख क्यूसेक को पार कर गया। अगले दो दिन में इसके दिल्ली पहुंचने की संभावना है।

मौसम विभाग का 25 जुलाई तक उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश के कुछ हिस्सों में भारी वर्षा होने का पूर्वानुमान है। इससे राजधानी में एक बार फिर से बाढ़ की स्थिति पैदा होने की आशंका जताई जा रही है।

3.59 लाख क्यूसेक पानी छोड़ने से बिगड़ी थी स्थिति

नौ जुलाई से हथनी कुंड से प्रति घंटे एक लाख क्यूसेक से ज्यादा पानी छोड़ा जा रहा था और 11 जुलाई को यह अधिकतम 3.59 लाख क्यूसेक तक पहुंच गया था। परिणामस्वरूप राजधानी में पुराना लोहा पुल के पास यमुना नदी का जलस्तर 13 जुलाई को 208.66 मीटर तक पहुंच गया और राजधानी के छह जिले में बाढ़ आ गई।

यमुनापार के कई क्षेत्रों के साथ कश्मीरी गेट, सिविल लाइंस व मुखर्जी नगर तक में पानी भर गया था। रिंग रोड और विकास मार्ग सहित कई सड़कों पर वाहनों की आवाजाही बंद हो गई थी। यमुना में पानी बढ़ने से वजीराबाद, चंद्रावल और ओखला जलशोधन संयंत्र बंद होने से राजधानी के कई क्षेत्रों में जलसंकट हो गया था।

66 अधिकारियों की टीम कर रही निगरानी

अधिकारियों का कहना है कि हथनी कुंड से पानी छोड़ने के साथ ही यमुना के जलस्तर की निगरानी की जा रही है। सितंबर तक नदी में पानी का स्तर बढ़ने का खतरा बना रहेगा। इसे ध्यान में रखकर तैयारी की गई है। 66 वरिष्ठ अधिकारियों को अलग-अलग स्थानों पर राहत और बचाव कार्य की जिम्मेदारी सौंपी गई है।

पिछले दिनों उत्तराखंड व हिमाचल प्रदेश में वर्षा होने के बाद भी राजधानी में यमुना का जलस्तर बहुत ज्यादा नहीं बढ़ा। केंद्रीय जल आयोग के पूर्वानुमान के अनुसार पहाड़ी नदियों में पानी ज्यादा नहीं बढ़ेगा।

इस स्थिति में हथनी कुंड से तीन लाख क्यूसेक से कम पानी छोड़े जाने की उम्मीद है। आइटीओ बैराज का कई वर्षों से बंद पांच में से दो गेट खुल जाने से पहले की तुलना में नदी का पानी तेजी से दिल्ली से बाहर निकलेगा। तीन अन्य गेट खोलने की कोशिश भी जारी है।

15 जुलाई से जलस्तर नीचे आया

13 जुलाई से हथनी कुंड से पानी छोड़ने की मात्रा कुछ कम होने पर 15 जुलाई से दिल्ली में यमुना के उफान में भी कमी आने लगी। एक सप्ताह से प्रति घंटे 30 से 75 हजार क्यूसेक और कई बार 30 हजार क्यूसेक से भी कम पानी छोड़ा जा रहा है।

यही कारण कि 10 जुलाई के बाद पहली बार 18 जुलाई को यमुना का जलस्तर खतरे के निशान से नीचे आया। उसके बाद से जलस्तर 206 मीटर से नीचे ही है। शनिवार सुबह नौ बजे से भी यह खतरे के निशान से नीचे था।

बाढ़ से निपटने को पूरी तरह तैयार है सरकारः आतिशी

राजस्व मंत्री आतिशी ने कहा कि हथनी कुंड से यमुना में दो लाख क्यूसेक से अधिक पानी छोड़े जाने के कारण दिल्ली सरकार हाई-अलर्ट पर है। बाढ़ जैसी घटना से निपटने के लिए हर संभव उपाय कर रही है। उन्होंने कहा कि "केंद्रीय जल आयोग के के अनुसार शुक्रवार शाम तक यमुना खतरे के स्तर को पार कर सकती है।

संभावित चुनौतियों से निपटने के लिए, मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के साथ पूरी सरकार स्थिति पर नजर रख रही है। तैयारियों का निरीक्षण किया जा रहा है। यदि यमुना का जल स्तर 206.7 मीटर तक बढ़ जाता है तो यमुना खादर के कुछ हिस्सों में बाढ़ का सामना करना पड़ सकता है। निवासियों को सूचित करने और उन्हें सुरक्षित रखने के लिए बाढ़ की आशंका वाले क्षेत्रों में नियमित मुनादी की जा रही हैं।