पुलिस और अधिवक्ता संघ की साझा मुहिम: साइबर ठगी के शिकार लोगों को मिलेगी नि:शुल्क विधिक सहायता
नई दिल्ली/नोएडा: नोएडा में साइबर पुलिस की तरफ से एक नई पहल शुरू की गई है. दरअसल, साइबर ठगी की दस हजार रुपये से कम की फ्रीज हुए रकम को पीड़ितों के खाते में वापस दिलाने के लिए 27 अधिवक्ताओं का समूह मदद करेगा. यह अनूठी पहल पुलिस और जिला अधिवक्ता संघ की साझा मुहिम है. इससे सैकड़ों पीड़ितों को मदद मिलेगी. जनपद के सभी थानों में मदद करने वाले 27 अधिवक्ताओं के नंबर और नाम वाली सूची भी चस्पा की जाएगी. यह जानकारी डीसीपी साइबर प्रीति यादव ने दी.
उन्होंने बताया कि कई बार ठगी की रकम इतनी कम होती है कि उसे पुलिस की मदद से फ्रीज तो करा दिया जाता है, पर रकम पीड़ितों के मूल खातों में वापस नहीं आ पाती है. इसके पीछे कारण यह होता है कि ठगी की रकम को पाने के लिए पीड़ित न्यायालय के चक्कर लगाते- लगाते उतनी ही रकम अधिवक्ता को दे देता है. जब उतनी ही रकम अधिवक्ता द्वारा पीड़ित से मांगी जाती तो ऐसे में वह चुप बैठ जाता है और उसे अपनी रकम वापस नहीं मिल पाती. इस प्रकार की समस्या लगातार सामने आ रही थी. इससे कैसे निपटा जाए पर इसपर पुलिस कमिश्नर लक्ष्मी सिंह ने योजना बनाई.
जिला अधिवक्ता संघ के पदाधिकारियों से उन्होंने संवाद किया और उनके सामने इस परेशानी को रखा. फिर पुलिस ने साइबर ठगी के पीड़ितों को बैंक द्वारा होल्ड व फ्रीज धनराशि को वापस दिलाने के लिए पहल शुरू की. अब अधिवक्ता संघ व न्यायालय से समन्वय स्थापित कर नि:शुल्क विधिक सहायता प्रदान की जाएगी. इसके लिए 27 अधिवक्ताओं का पैनल भी बनाया गया है. इससे पीड़ितों को इस प्रक्रिया में खर्च होने वाले करीब तीन से पांच हजार रुपये की बचत होगी. साइबर ठगी में पीड़ित के बैंक खाते से धनराशि शुरुआती कुछ बैंक खातों में जाती है.
इन बैंक खातों से कई बैंक खातों (मल्टी लेयर) में ट्रांसफर कर निकाली जाती है. पीड़ित की ओर से शिकायत करने पर पुलिस बैंक डिटेल जुटाकर कार्रवाई करती है. पुलिस बैंक प्रबंधन से संपर्क कर बैंक खातों की स्थिति का पता करती है. इन बैंक खातों में धनराशि मिलने पर रकम को फ्रीज या होल्ड कराया जाता है. पीड़ित शिकायत के आधार पर न्यायालय में अपील करता है या करवाता है. इस प्रक्रिया को पूरी कराने के लिए अधिवक्ता की जरूरत होती है. इसमें पीड़ित की धनराशि भी खर्च होती है. इस प्रक्रिया को आसान और अतिरिक्त आर्थिक बोझ को शून्य करने के लिए गौतमबुद्ध नगर पुलिस कमिश्नर ने प्रयास किया. इस प्रयास से न केवल पीड़ितों को उनका धन वापस प्राप्त होगा, बल्कि एनसीआरपी पोर्टल पर लंबित शिकायतों का निस्तारण होना भी सुनिश्चित होगा.