भोपाल । मप्र में जिस तेजी से गर्मी बढ़ रही है उसी तेजी से जलाशयों के जल संग्रहण में गिरावट आई है। वहीं जल स्तर में गिरावट के कारण सरकार नलकूप योजनाओं की सांस फूलने लगी है। ऐसी स्थिति में प्रदेश के 42.27 लाख परिवारों के सामने सबसे अधिक परेशानी खड़ी हो गई है, जिनके घरों में नल जल योजना का कनेक्शन नहीं है। प्रदेश के अधिकांश ग्रामीण इलाकों में लोगों को पर्याप्त मात्रा में पानी उपलब्ध नहीं हो पा रहा है। इससे लोगों की दिनचर्या प्रभावित हो रही है।  ग्रामीण इलाकों में इन दिनों पेयजल संकट बरकरार है। ग्रामीण रोजाना नौलों, धारो और नदियों से पानी ढोककर अपनी जरूर पूरी कर रहे है, लेकिन वह भी पर्याप्त नहीं हो पा रहा है। सडक़ से दूरी वाले ग्रामीण क्षेत्रों में पेयजल योजना भी पूरी तरह धरासाई हो गई है। इन पेयजल योजनाओं से एक बूंद पानी नहीं टपक रहा है।
सीहोर जिले के पठारी क्षेत्र में पेयजल संकट दिन पर दिन गहरा रहा है। यहां की आठ वर्षीय संध्या हर रोज कुएं से एक-एक बाल्टी पानी के लिए जद्दोजहद करती है। ऐसे में उसके हाथों में छाले पड़ गए हैं। पानी के फेर में उसकी पढ़ाई भी ठीक से नहीं हो पा रही। उसके गांव में अबतक नल कनेक्शन नहीं लगा है। प्रदेश में पानी के नाम की यह दर्दभरी कहानी अकेले संध्या की नहीं है बल्कि 42.27 लाख घरों को नल कनेक्शन का इंतजार है।


13,264 गांवों में ही हर घर कनेक्शन


केंद्र सरकार ने जल जीवन मिशन के माध्यम से वर्ष 2026 तक प्रदेश के सभी 1.11 करोड़ से अधिक घरों में नल कनेक्शन से शुद्ध पानी देने का लक्ष्य रखा है, लेकिन अबतक 69.55 लाख घरों में ही नल कनेक्शन हुए हैं। आंकड़े बता रहे कि 52 में 2 जिले बुरहानपुर और निवाड़ी ही हर घर नल कनेक्शन लगे हैं। प्रदेश के 50,997 ग्रामों में से 13,264 गांवों में हर घर कनेक्शन हुआ है जबकि 36 हजार से अधिक गांवों में काम चल रहा है। वहीं 900 गांवों में अबतक पानी पहुंचाने का काम ही शुरू नहीं हुआ है। जबकि सरकार पानी के नाम पर अबतक करीब 13 हजार करोड़ रुपए खर्च कर चुकी है। बुंदेलखंड के पन्ना, छतरपुर, टीकमगढ़ और सागर के कई गांवों में जल संकट है। पन्ना के रैपुरा तहसील के एक दर्जन गांवों के हैंडपंप और कुएं सूख गए हैं। 70 वर्षीय रामबाई कहती है कि एक-एक डिब्बा पानी के लिए चिलचिलाती धूप में एक-एक किलोमीटर तक आना-जाना पड़ रहा है। रीवा में कलेक्टर को बैठक में बताया गया कि ग्रामीण क्षेत्रों में 10 मीटर तक जल स्तर नीचे चला गया है। अलिराजपुर, मंडला, बड़वानी, झाबुआ, देवास, अशोकनगर, भिंड, मुरैना और शिवपुरी के ग्रामीण क्षेत्रों में पेयजल संकट गंभीर रूप ले रहा है। ग्रामीण क्षेत्रों में हर घर में नल कनेक्शन देने में छतरपुर जिला सबसे पीछे है। यहां अबतक 37 प्रतिशत ही प्रगति है यानि 2.47 लाख में 92 हजार घरों में ही नल कनेक्शन हुए हैं।


नल-जल योजना का काम अधूरा
एक तरफ जल निगम के एमडी केवीएस चौधरी का कहना है कि मार्च 2026 तक हर घर नल कनेक्शन देने का टारगेट है। दरअसल, डीआई पाइप सप्लाई कम हो रही है, ओव्हरहेड टेंक बनाने वाले एक्सपर्ट भी कम हैं। फॉरेस्ट परमिशन मिलने का बड़ा चैलेंज रहता है। फिर भी हम तय समय में हर घर में नल कनेक्शन दे देंगे। वहीं दूसरी तरफ स्थिति यह है की कई क्षेत्रों में नल-जल योजना का काम अधूरा पड़ा हुआ है। कटनी जिले में नल-जल योजना के दो पंप हाउस पर ठेकेदार ने ताले लगवा दिया है। ऐसे में लोग पीने के पानी के लिए परेशान हो रहे हैं। जिसकी शिकायत जनपद अध्यक्ष ने एसडीएम और कलेक्टर से की है। यह मामला ग्राम ढीमरखेड़ा का है। बताया जा रहा है कि ठेकेदार नल-जल योजना का का आधा अधूरा काम कर पंचायत को हैंडओवर करने के लिए दबाव बना रहा था। जिसके बाद ग्राम पंचायत ने मामले की जानकारी जनपद अध्यक्ष सुनीता दुबे को दी। इस मामले की शिकायत उन्होंने लिखित रूप से कलेक्टर अवि प्रसाद और एसडीएम विंकी सिंहमारे से की है। जिसमें बताया गया कि ग्राम पंचायत ढीमरखेड़ा, खमतरा, कछार गांव में ठेकेदार मनमानी काम कर नल-जल योजना हैंडओवर लेने के लिए ग्राम पंचायत को दबाव बना रहा है। जनपद अध्यक्ष ने मामले की जांच कर कार्रवाई की मांग की है।