चुनावी गतिविधियों की हर घंटे जानकारी भेजी जाएंगी दिल्ली


भोपाल । मप्र में ढाई महीने बाद चुनाव होने हैं। इसको लेकर भाजपा पूरी तरह सजग और सतर्क हो गई है। पार्टी ने पूरा फोकस मप्र पर कर दिया है। इसके तहत पार्टी के रणनीतिकारों को जिम्मेदारी देकर प्रदेश में तैनात किया गया है। यही नहीं मप्र में चलने वाली हर राजनीतिक गतिविधि पर दिल्ली से नजर रखी जा रही है। इसका असर हुआ है कि प्रदेश में भाजपा की सक्रियता कांग्रेस सहित अन्य पार्टियों से काफी आगे हैं। चुनावी समितियों से लेकर बूथ स्तर पर पार्टी विभिन्न अभियान, आयोजनों के माध्यम से जनता के बीच पहुंच रही है।
गौरतलब है कि इस बार के विधानसभा चुनाव में मप्र भाजपा की रणनीति का पूरा कमांड दिल्ली दरबार के पास है। चुनाव प्रचार की रणनीति, टिकट वितरण, नेताओं को जिम्मेदारी आदि सबका फैसला दिल्ली से हो रहा है। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने पूरी जिम्मेदारी संभाल रखी है। उन्हीं के दिशा निर्देश पर केंद्रीय नेताओं की टीम प्रदेश में तैनात और सक्रिय हैं। यह इस बात का संकेत है कि विधानसभा चुनाव पर भाजपा के शीर्ष नेतृत्व की नजर रहेगी। दरअसल, कर्नाटक चुनाव में भाजपा को मिली हार के बाद मप्र में कार्यकर्ताओं की नाराजगी दूर करने के लिए पार्टी पुराने और नए दोनों पदाधिकारियों को महत्व दे रही है। संवादहीनता, काम का अभाव और महत्व न मिलने जैसे गिले-शिकबे दूर करने को ताबड़तोड़ बैठकें लेकर समन्वय बनाने की कवायद चल रही है।


यादव और वैष्णव को महत्वपूर्ण जिम्मेदारी
चुनावी की रएानीति के तहत पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व ने जून से ही मोर्चा संभाला लिया है। चुनाव प्रभारी भूपेन्द्र यादव सहित दूसरे केन्द्रीय नेता मैदान संभालेंगे, तो सहप्रभारी एवं रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव भोपाल स्थित पार्टी मुख्यालय में रहकर चुनावी प्रबंधन पर नजर रखेंगे। सूत्रों की मानें प्रदेश की चुनावी गतिविधियों के हर घंटे जानकारी दिल्ली भेजी जाएंगी। सूबे की सत्ता पर पांचवीं बार फतह हासिल करने भाजपा ने माइक्रो चुनावी रणनीति बनाई है। हर मोर्चे पर जहां विपक्षी दलों को मात देने के लिए योजना बनाई गई है, तो वहीं चुनावी ऑपरेशन के लिए भी अलग तरह से व्यवस्थाएं की गई हैं। भाजपा से जुड़े जानकारों की मानें तो केन्द्रीय मंत्री भूपेन्द्र यादव चुनाव के दौरान पूरे प्रदेश में भ्रमण करेंगे, तो उनके सहायक एवं रेल मंत्री आश्विनी वैष्णव भोपाल में रहकर पूरे प्रदेश के चुनाव प्रबंधन पर नजर रखेंगे। उनके द्वारा हर घंटे की रिपोर्ट केन्द्रीय नेतृत्व के पास भेजी जाएगी। इस रिपोर्ट पार्टी के प्रमुख रणनीतिकार एवं केन्द्रीय मंत्री अमित शाह की नजर रहेंगी। इनके अलावा मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान हर दिन किसी न किसी विधानसभा क्षेत्र पहुंचेंगे, तो केंद्रीय मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर ग्वालियर चंबल संभाग के अलावा बुंदेलखंड की कुछ सीटों पर फोकस करेंगे। हालांकि उनके प्रदेश की दूसरे विधानसभाओं पर भी कार्यक्रम होंगे। प्रदेशाध्यक्ष वीडी शर्मा की सभाएं भी प्रदेश भर में कराई जाएंगी, लेकिन उनका फोकस विशेषकर महाकौशल और बुंदेलखंड क्षेत्र पर अधिक रहेगा। राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय मालवा और निमाड़ में सक्रिय रहेंगे, तो प्रदेश से आने वाले केन्द्रीय मंत्री अपने-अपने संसदीय क्षेत्रों में सक्रिय रहेंगे। वरिष्ठ नेता गोपाल भार्गव को बुंदेलखण्ड में सक्रिय किया जाएगा।


क्षेत्रवार जिम्मेदारी संभालेंगे नेता
दिल्ली की रणनीति के अनुसार, नेताओं को क्षेत्रवार जिम्मेदारी सौंपी जाएगी। प्रदेश सरकार के अधिकांश मंत्रियों को अपने विधानसभा क्षेत्रों में ही फोकस रखने को कहा जा रहा है। कहा जा रहा है कि सर्वे की रिपोर्ट में साफ कह दिया गया है कि मंत्रियों को चुनाव के दौरान अपना पूरा समय अपने विधानसभा क्षेत्रों में देना होगा, जहां वे प्रत्याशी के रूप में घर-घर जाकर अपने लिए वोट मांगेंगे। जानकारों की मानें तो प्रदेश के सभी अंचलों में प्रचार के लिए दूसरे राज्यों के नेताओं जातिगत समीकरण के आधार पर बुलाया जाएगा। यूपी की सीमा से लगे विधानसभा क्षेत्रों में उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री आदित्य योगीनाथ, उपमुख्यमंत्री केशव मौर्य और पाठक पाटी प्रत्याशियों के लिए प्रचार करेंगे, तो गुजरात, राजस्थान, महाराष्ट्र और छत्तीसगढ़ की सीमा से लगे विधानसभा क्षेत्रों में वहां की सरकारों के मंत्री व नेता पहुंचेंगे। प्रदेश की आदिवासी क्षेत्रों के लिए भाजपा की चुनावी रणनीति विशेष रहेगी। जानकारों की मानें तो इन क्षेत्रों में भाजपा के लिए आदिवासी नेता प्रचार करेंगे, तो आदिवासियों के लिए वर्षों से काम करने वाले लोगों को भी भाजपा चुनाव प्रचार में उतारेगी। इनके अलावा समाज के लिए आदर्श संतों व विशिष्ट लोगों को भी प्रचार के लिए भेजा जाएगा। उल्लेखनीय है कि इनमें से अधिकांश जन आशीर्वाद यात्रा के दौरान भाजपा के नेताओं के साथ उपस्थित रहे हैं।