मुंबई । महाराष्ट्र मेरी टाइम बोर्ड या‎निकी एमएमबी ट्रे‎फिक जाम से मुंबईवा‎सियों को ‎निजात ‎दिलाने एक नया रास्ता ‎निकाल रही है। वॉटर ट्रांस्पोर्ट के ज‎रिए अब यह रास्ता ‎समंदर से होकर निकाला जाएगा। गौरतलब है ‎कि यहां लोकल ट्रेनें न होतीं, तो ये शहर कभी देश की आर्थिक राजधानी न बनता। बेस्ट की बसें न होती, तो लोकल से उतरने के बाद मुंबईकर वक्त पर दफ्तर या घर नहीं पहुंचते। पिछले कुछ सालों में मुंबई की ये दोनों लाइफ लाइन का लोड बढ़ा, तो मेट्रो का जाल बिछाना शुरू किया गया, जो मुंबईकरों के लिए तीसरी लाइफ लाइन का काम करेगी। अब सरकार ने चौथी लाइफ लाइन पर काम करना शुरू कर दिया क्योंकि सात द्वीपों को जोड़कर बने इस शहर का संकट समंदर से ही हल होगा। मुंबई, ठाणे और नवी मुंबई को मिलाकर बने मुंबई मेट्रोपोलिटन रीजन को जोड़ने के लिए सरकार ने बेलापुर (नवी मुंबई) और घोडबंदर (ठाणे) में वॉटर टर्मिनल बनाने का फैसला लिया है।
वॉटर ट्रांसपोर्ट को बढ़ावा देने के लिए महाराष्ट्र मेरी टाइम बोर्ड (एमएमबी) ने ठाणे के घोड़बंदर रोड और नवी मुंबई के बेलापुर मे जेट्टी पार्किंग और यात्री टर्मिनल तैयार करने का निर्णय लिया है। इस काम को डेढ़ साल में पूरा करने का दावा किया जा रहा है। टर्मिनल के निर्माण के लिए एमएमबी ने कॉन्ट्रैक्टर की तलाश शुरू कर दी है। इन दो स्थानों पर पैसेंजर टर्मिनल, जेट्टी पार्किंग समेत अन्य सुविधा के निर्माण पर करीब 10 करोड़ रुपये खर्च होंगे। एमएमबी के एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार, बेलापुर में ग्राउंग प्लस एक मंजिला यात्री टर्मिनल तैयार किया जाएगा। यहां वेटिंग रूम, टिकट काउंटर, रेस्ट रूम होगा। टर्मिनल की पहली मंजिल पर ऑफिस होंगे। बेलापुर में यात्री टर्मिनल समेत अन्य सुविधा के निर्माण पर करीब 6।09 करोड़ रुपये खर्च होंगे। ठेकेदार को बेलापुर यात्री टर्मिनल का निर्माण कार्य 18 महीने में पूरा करना होगा। 
मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के क्षेत्र में जेट्टी और यात्री टर्मिनल इमारत एक साल में तैयार हो जाएगी। ठाणे के घोड़बंदर रोड पर जेट्टी पार्किंग और टर्मिनल इमारत के निर्माण पर करीब 3.92 करोड़ रुपये खर्च होंगे। पिछले कुछ सालों में ठाणे का तेजी से विकास हुआ है। घोड़बंदर रोड के करीब रहने वालों की संख्या में कई गुना इजाफा हुआ है। यहां लोगों को ट्रैफिक जाम का सामना करना पड़ रहा है। ऐसे में सरकार नया विकल्प उपलब्ध करवाने की योजना तैयार की है। मुंबई के पुराने ट्रांसपोर्ट सिस्टम का लोड बहुत बढ़ गया है। आम लोगों के लिए अब भी लोकल ट्रेनें पहली पसंद है, लेकिन इसके अलावा सड़क मार्ग को विकसित करने में सरकार नाकाम रही है।