अनुसूचित क्षेत्रों की ग्राम सभा में आरएसएस की घुसपैठ

भोपाल । अपने बयान के चलते चर्चा में रहने वाले मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (आरएसएस) पर हमला बोला है। उन्होंने कहा है कि अनुसूचित क्षेत्रों की ग्राम सभा में आरएसएस का घुसपैठ है। पेसा की धारा 13 (3) क की ग्राम सभा के अधिकार भी अब आरएसएस के हाथ में हैं।
दिग्विजय सिंह ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट एक्स पर पोस्ट कर लिखा कि अनुसूचित क्षेत्रों की ग्रामसभा में आरएसएस का इंफील्ट्रेशन (घुसपैठ) पेसा की धारा 13 (3)क की ग्रामसभा के अधिकार भी अब आरएसएस के हाथ में अगर इस तरह का आदेश कलेक्टर न माने तो उनके विरुद्ध क्या पैनल प्रोविजन है? आठ जुलाई 2021 की खबर है, खबर का फॉलोअप नहीं लिया गया, मेरी जानकारी के मुताबिक ग्राम सभा का गठन फिलहाल पेसा ग्राम मोबिलाइजर ही कर रहे हैं। उन्होंने आगे लिखा कि पेसा मोबिलाइजर के ऊपर पेसा ब्लॉक कोऑर्डिनेटर है, जो आरएसएस विचारधारा वालों को ही चुन-चुन कर बनाया गया है। पेसा ब्लॉक कोऑर्डिनेटर के ऊपर डिस्ट्रिक्ट कोआर्डिनेटर है। उन्हें भी संघ से जुड़े लोगों को ही बनाया गया है। इनके ऊपर उपसचिव है, जिसने पेसा ब्लॉक कोऑर्डिनेटर, डिस्ट्रिक्ट कोआर्डिनेटर बनाए। यानी अप्रत्यक्ष रूप से ग्रामसभा का गठन आरएसएस विचारधारा के गांव में रहने वाले युवकों से ही किया जा रहा है।

गांव में सत्ता के दो ध्रुव बना दिए गए


दिग्विजय सिंह ने कहा है कि जहां-जहां कांग्रेस या अन्य स्वतंत्र विचारधारा के लोकतांत्रिक प्रणाली से चुने हुए सरपंच हैं, वहां यह आरएसएस वाली ग्राम सभाओं को पावर डेलिगेट कर गांव में सत्ता के दो ध्रुव बना दिए गए हैं। प्रशासन को भी इस तरह के निर्देश हैं कि जहां कांग्रेस के सरपंच हैं, वहां इन आरएसएस वाली ग्राम सभा को सरकारी कार्य में तवज्जो दी जा रही है। जो नेचुरल कम्युनिटी वाले या ग्राम गणराज्य वाले गांव मुकद्दम संगठन वाले, ग्राम सभा कर रहे हैं।

आरएसएस विचारधारा को अमलीजामा पहनाया जा रहा


उन्होंने कभी आरएसएस के इस षड्यंत्र पर एक शब्द भी नहीं बोला, किस तरह आरएसएस विचारधारा को ग्रामसभा के माध्यम से अमली जामा पहनाया जा रहा है। जब भी शासन को आदिवासी अनुसची क्षेत्रों में कोई प्रोजेक्ट लाना होगा, तब इन्हीं फर्जी ग्रामसभा से अनुमति लेकर प्रोजेक्ट पूरे किए जाएंगे। टाइगर प्रोजेक्ट के नाम पर जो शेड्यूल एरिया की जमीन से सैकड़ों गांव विस्थापित हो रहे हैं, उसके विरुद्ध कितने ग्राम सभा ने निंदा प्रस्ताव पारित किए गए हैं?