ठगी की वारदातों को दे रहे अंजाम, मुख्य आरोपी गिरफ्तार....
देशभर में साइबर ठग रोजाना ही किसी न किसी नए तरीके से ठगी की वारदातों को अंजाम दे रहे हैं। उत्तरी जिला के साइबर थाना पुलिस ने एक ऐसे गिरोह का खुलासा किया है, जो देशभर के सांसद और विधायक के करीबियों को नौकरी दिलवाने का झांसा देकर उनके साथ ठगी कर रहे थे। पुलिस ने एक संबंध में एक आरोपी को कानपुर से गिरफ्तार किया है। पकड़े गए आरोपी की पहचान गांव लूटापुर, सफीपुर, उन्नाव निवासी आशु बाजपेयी के रूप में हुई है। पुलिस ने आरोपी के पास से वारदात में इस्तेमाल तीन मोबाइल फोन, आठ डेबिट कार्ड के अलावा पांच सिमकार्ड बरामद किए हैं। पुलिस को मामले इस रैकेट के दूसरे आरोपी व आशु के बड़े भाई प्रदीप बाजपेयी की तलाश है। जांच के दौरान पुलिस को पता चला है कि आरोपी गूगल सर्च की मदद से देशभर के सांसद और विधायकों के मोबाइल नंबर प्राप्त कर लेते थे। इसके बाद खुद को राष्ट्रीयकृत बैंक का अधिकारी बताकर सांसद व विधायकों के रिश्तेदारों व करीबियों को नौकरी दिलवाने का झांसा दिया जाता था। बाद में उनको कॉल कर नौकरी दिलवाने के नाम पर मोटी रकम ऐंठ ली जाती थी। फिलहाल पुलिस ने हरियाणा, पश्चिम बंगाल, बिहार, दिल्ली में पांच वारदातें सुलझाने का दावा किया है। इसके अलावा आशु की गिरफ्तारी से देशभर के 17 और मामले लिंक हुए हैं। पूछताछ के दौरान आशु ने बताया है कि वह 100 से अधिक सांसद-विधायकों को कॉल कर उनके रिश्तेदारों से ठगी कर चुका है। उत्तरी जिला के पुलिस उपायुक्त सागर सिंह कलसी ने बताया कि पिछले दिनों साइबर थाना पुलिस को सदर बाजार निवासी एक युवती की ओर से ठगी की शिकायत मिली थी। उसने पुलिस को दिए बयान में बताया कि चांदनी चौक से सांसद डॉ. हर्षवर्धन का नाम लेकर कुछ लोगों ने उसे कॉल किया। आरोपियों ने खुद को एसबीआई चांदनी चौक का मैनेजर बताकर युवती को क्लर्क की नौकरी का ऑफर दिया। फोन पर ही उसका इंटरव्यू करने के बाद पीड़िता से अलग-अलग चार्ज के नाम पर 25 हजार रुपये ऑन लाइन ट्रांसफर करवा लिए गए। बाद में पीड़िता को चांदनी चौक मुख्य शाखा में संपर्क करने के लिए कहा गया। पीड़िता बैंक पहुंची तो उसे ठगी का पता चला।
कई एमपी और एमएलए की ओर से मिल रही थीं शिकायतें
पुलिस ने मामले की जांच की तो पता चला कि इसी तरह की शिकायतें देशभर के एमपी-एमएलए ने की थी। गैंग ने राष्ट्रीयकृत बैंक में उनके रिश्तेदारों और करीबियों को नौकरी दिलवाने के नाम पर ठगी की गई थी। पुलिस ने मामले की जांच शुरू की। पीड़िता ने जिन खातों में रकम ट्रांसफर की थी, उनकी पड़ताल की गई। इसके अलावा आरोपी के सीडीआर को भी निकाला गया। जांच में पता चला कि आरोपी कानपुर और उन्नाव के आसपास ही मौजूद है। उसकी लोकेशन वहीं की मिल रही है। आरोपी की तलाश करते हुए पुलिस उन्नाव के एक ई-मित्र दुकानदार के पास पहुंची। आरोपी ने इसके खाते में रकम ट्रांसफर कर कैश लिया था।
ऐसे पकड़ा गया आरोपी युवक
दुकानदार की मदद से पुलिस ने आरोपी की पहचान कर ली। जांच में पता चला कि उसने फर्जी कागजातों के आधार पर बैंक खाते खुलवाने के अलावा कई सिमकार्ड भी लिए हुए हैं। मोबाइल नंबर के आधार पर आरोपी की लोकेशन कानपुर की मिली। पुलिस की एक टीम को कानपुर भेजा गया, जहां एक होटल से उसे दबोच लिया गया। पूछताछ के दौरान आरोपी ने बताया कि वह बीए अंतिम वर्ष का छात्र है। वह अपने भाई प्रदीप के साथ मिलकर ठगी की वारदात को अंजाम दे रहा है। कुछ समय पूर्व उनके जानकार रविकांत नामक व्यक्ति ने उनको ठगी का तरीका बताया था।
ऐसे दिया जाता था वारदात को अंजाम
आरोपी गूगल सर्च की मदद से सांसद और विधायकों के नंबर लेते थे। खुद को नेशनल बैंक का बड़ा अधिकारी बताकर कहते थे कि बैंक में कुछ पद खाली हैं। यदि वह चाहे तो अपने रिश्तेदारों या मिलने-जुलने वालों को नौकरी पर रखवा सकते हैं। इसके बाद आरोपी सांसद-विधायकों से ही उनके करीबियों का नंबर लेते थे। नंबर लेने के बाद आरोपी करीबियों को कॉल कर कहते थे कि उनको एमपी या एमएलए ने उनका नंबर दिया है। बैंक में नौकरी लगवाने के लिए नेताजी ने कहा है। पीड़ित यदि एमपी या एमएलए को कॉल भी करता था तो वहां पुष्टि हो जाती थी। इसके बाद पीड़ित आसानी से आरोपियों को रुपये ट्रांसफर कर देते थे।