हैदराबाद। तेलंगाना के मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव (केसीआर) के 8 जुलाई को वारंगल में एक बार फिर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कार्यक्रम में शामिल न होने की उम्मीद है। पीएम मोदी राज्य में राजमार्ग और रेलवे वैगन विनिर्माण इकाई सहित 6100 करोड़ रुपये की कई परियोजनाओं की नींव रखने जा रहे हैं।

8 जुलाई को पीएम मोदी वारंगल में राजमार्ग और एक रेलवे वैगन विनिर्माण इकाई सहित 6100 करोड़ रुपये की कई परियोजनाओं की नींव रख रहे हैं। पीएम मोदी के कार्यक्रम में सीएम केसीआर को आधिकारिक तौर पर आमंत्रित किया गया है, लेकिन तेलंगाना के सीएम एक बार फिर प्रधानमंत्री के कार्यक्रम में शामिल नहीं होंगे।

भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) के नेता केंद्र से तेलंगाना को एक कोच फैक्ट्री आवंटित करने की मांग कर रहे थे, लेकिन पीएम मोदी एक वैगन विनिर्माण इकाई की आधारशिला रखने जा रहे हैं। इसको लेकर बीआरएस नेताओं ने पहले ही चिंता जाहिर की थी।

केसीआर ने पहले भी पीएम के कार्यक्रम से बनाई है दूरी

यह पहली बार नहीं है कि केसीआर पीएम मोदी के कार्यक्रमों में शामिल नहीं होंगे। पिछली बार 8 अप्रैल को जब केसीआर ने हवाई अड्डे पर पीएम मोदी का स्वागत नहीं किया तो पूर्व विधान परिषद सदस्य और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) नेता एन रामचंदर राव ने कहा था कि प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने 14 महीनों में पांच बार तेलंगाना का दौरा किया लेकिन राज्य के सीएम केसीआर ने एक बार भी उनकी अगवानी नहीं की।

एएनआई से बात करते हुए राव ने कहा कि पिछले 14 महीनों में पीएम ने पांच बार राज्य का दौरा किया और प्रोटोकॉल के मुताबिक एक भी बार सीएम ने पीएम का स्वागत नहीं किया। उन्होंने कहा कि तेलंगाना के सीएम का व्यवहार पद और कद के अनुसार नहीं है। वे राज्य के प्रोटोकॉल का पालन नहीं कर रहे हैं। केरल के पिनाराई विजयन और तमिलनाडु के एमके स्टालिन जैसे सीएम भी राजनीतिक और वैचारिक रूप से विरोध में हैं लेकिन उन दोनों में विनम्रता है। उन्होंने प्रोटोकॉल के मुताबिक पीएम मोदी का सम्मान किया, हालांकि वे राजनीतिक रूप से बीजेपी के विरोधी हैं।

उन्होंने कहा कि तेलंगाना की जनता केसीआर को सबक सिखाएगी। पहले राजीव गांधी और एनटीआर के बीच कटु राजनीतिक मतभेद थे, फिर भी एनटी रामाराव राजीव गांधी का स्वागत करने आए। लोकतंत्र के लिए यही राजनीतिक संस्कृति आवश्यक है। सीएम का व्यवहार निंदनीय है और सीएम द्वारा तेलंगाना के लोगों का अपमान किया जा रहा है। तेलंगाना के लोग उन्हें सबक सिखाएंगे।

शिष्टाचार पर सियासत भारी

इस साल की शुरुआत में अप्रैल में तेलंगाना के मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कार्यक्रम में भाग नहीं लिया था, जहां उन्होंने चुनावी राज्य के लिए कई विकास परियोजनाओं का उद्घाटन किया था।

प्रोटोकॉल का पालन करते हुए मुख्यमंत्री केसीआर को आमंत्रित किया गया था लेकिन केसीआर ने पीएम मोदी के आगमन पर बेगमपेट हवाई अड्डे पर उनका स्वागत नहीं किया।

केसीआर की पार्टी भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) का भाजपा के साथ टकराव चल रहा है, जो तेलंगाना में राजनीतिक और चुनावी पैठ बनाने की कोशिश कर रही है। राज्य में इसी साल विधानसभा चुनाव होने हैं।

दूसरी ओर, केसीआर अपनी राष्ट्रीय महत्वाकांक्षाओं के तहत अन्य राज्यों में अपनी पार्टी का विस्तार करने की कोशिश कर रहे हैं।

पिछले साल केसीआर ने अपनी पार्टी तेलंगाना राष्ट्र समिति (टीआरएस) का नाम बदलकर भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) कर दिया था, जो 2024 के लोकसभा चुनावों में भाजपा का मुकाबला करने के लिए एक राष्ट्रीय पार्टी बनने की दिशा में पहला कदम था। उन्हें अगले साल होने वाले आम चुनावों में बीजेपी के खिलाफ एकजुट लड़ाई के लिए विपक्षी दलों को एकजुट करने के प्रयास करते भी देखा गया।