गुवाहाटी । विपक्षी दलों के गठबंधन इंडिया में शा‎मिल होने को लेकर असमंजस बना हुआ है। जहां कांग्रेस समेत 26 विपक्षी दलों के गठबंधन इंडिया में शामिल होने को लेकर एआईयूडीएफ तो उत्‍सुक है, लेकिन असम कांग्रेस के नेता इसका विरोध कर रहे हैं। दरअसल असम में कांग्रेस ने इंडिया के गठन से बहुत पहले ही विपक्षी ताकतों को एकजुट करना शुरू कर दिया था। यही वजह रही ‎कि सबसे पुरानी पार्टी के राज्य नेता 12 विपक्षी दलों को एक छतरी के नीचे लाने में सफल रहे। संयुक्त विपक्षी मंच में वाम दल, शिवसागर विधायक अखिल गोगोई के रायजोर डोल, पूर्व ऑल असम स्टूडेंट्स यूनियन (एएएसयू) नेता लुरिनज्योति गोगोई की असम जातीय परिषद (एजेपी) और अन्य शामिल थे। लेकिन इसमें असम की राजनीति में एक प्रमुख खिलाड़ी बदरुद्दीन अजमल के ऑल इंडिया यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट (एआईयूडीएफ) का अभाव है। ममता बनर्जी की तृणमूल कांग्रेस और अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी (आप) को भी विपक्षी मंच पर जगह नहीं दी गई। 
सूत्र बताते हैं ‎कि इंडिया दल की घोषणा के बाद स्थिति काफी हद तक बदल गई है। भले ही तृणमूल कांग्रेस और आप अब विपक्षी गठबंधन के घटक हैं लेकिन एआईयूडीएफ अभी भी गठबंधन से बाहर है। असम के मनकचर से विधायक और एआईयूडीएफ के महासचिव अमीनुल इस्लाम ने बताया ‎कि  गठबंधन के प्रमुख नेताओं में से एक, नीतीश कुमार ने कुछ हफ्ते पहले पटना में हमसे मुलाकात की थी। हमारे नेता बदरुद्दीन अजमल भी वहां मौजूद थे। बिहार के मुख्यमंत्री की सलाह के अनुसार, हमने मुंबई में शरद पवार से भी मुलाकात की। वे हमें गठबंधन में लेने के लिए बहुत उत्सुक थे। लेकिन यह सच है कि हमें बाद में हुई बैठकों में आमंत्रित नहीं किया गया।
स्थापना के बाद से एआईयूडीएफ असम की राजनीति में एक प्रमुख कारक रहा है। 2011 के विधानसभा चुनाव में, वह 18 विधायकों के साथ राज्य में प्राथमिक विपक्षी दल बन गया। 2016 में सीटों की संख्या थोड़ी कम होकर 13 रह गई। हालांकि, पिछले विधानसभा चुनाव में बदरुद्दीन अजमल की पार्टी 16 सीटें जीतने में कामयाब रही थी। बाद में, इसके एक विधायक ने पार्टी से इस्तीफा दे दिया और भाजपा के टिकट पर फिर से निर्वाचित हुए।
कांग्रेस ने उन पार्टियों के साथ गठबंधन किया है, जिनका विधानसभा या संसद में कुछ को छोड़कर कोई प्रतिनिधित्व नहीं है। एआईयूडीएफ विधायक ने बताया कि उनकी पार्टी संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (यूपीए) की सहयोगी है और वे लोकसभा चुनाव के बाद इंडिया का समर्थन करेंगे। क्यों‎कि बीजेपी के खिलाफ हैं इस‎लिए एनडीए में शामिल होने का तो सवाल ही नहीं उठता।