महिला सशक्तिकरण का प्रेरणास्पद उदाहरण

भोपाल : लद्दाख की गलवान घाटी में 15 जून 2020 को मातृभूमि की रक्षा करते हुए वीरगति को प्राप्त हुए शहीद दीपक सिंह की पत्नी रेखा सिंह ने साहस, दृढ़ता और संकल्प का परिचय देते हुए भारतीय सेना में लेफ्टिनेंट बनकर अपने पति के अधूरे सपने को साकार किया। रेखा सिंह की यह उपलब्धि महिला सशक्तिकरण की दिशा में एक प्रेरणादायक उदाहरण है।
रीवा जिले के ग्राम फरेदा निवासी रेखा सिंह का जीवन कठिनाइयों और संघर्षों से भरा रहा, लेकिन उन्होंने हर चुनौती का डटकर सामना किया। विवाह के मात्र 15 माह बाद उन्होंने अपने पति को खो दिया। शहीद दीपक सिंह को मरणोपरांत वीर चक्र से सम्मानित किया गया। मध्यप्रदेश शासन द्वारा शहीद परिवार को एक करोड़ रुपये की सहायता राशि दी गई। इसके साथ ही रेखा सिंह को शिक्षाकर्मी वर्ग-दो के पद पर नियुक्ति प्रदान की गई।
रेखा सिंह, जो विवाह पूर्व जवाहर नवोदय विद्यालय सिरमौर में शिक्षिका थीं, ने पति की प्रेरणा से सेना में जाने का सपना देखा था। पति की शहादत के बाद उन्होंने इस सपने को अपनी प्रेरणा बना लिया। कठिन परिस्थितियों के बावजूद उन्होंने हार नहीं मानी। पहले प्रयास में सफलता नहीं मिलने के बावजूद, दूसरे प्रयास में उनका चयन भारतीय सेना में लेफ्टिनेंट के पद पर हुआ। चेन्नई में एक वर्ष का प्रशिक्षण पूर्ण कर उन्होंने सेना में अपनी सेवाएं प्रारंभ कीं। यह संयोग ही है कि उनकी पोस्टिंग उसी क्षेत्र में हुई है, जहां उनके पति देश की रक्षा करते हुए शहीद हुए थे।
रेखा सिंह कहती हैं कि मेरी ये सफलता इस क्षेत्र में आने का सपना देखने वाली हर एक नारीशक्ति को प्रेरणा देगा। उन्होंने बताया कि मैंने अपनी बहनों की हौसलाफजाई के लिए भी सेना ज्वाइन की है। इससे समाज में फैली रूढ़िवादिता को तोड़ने में भी मदद मिलेगी।
रेखा सिंह की इस अभूतपूर्व सफलता में रीवा जिला प्रशासन और जिला सैनिक कल्याण कार्यालय का भी महत्वपूर्ण योगदान रहा, जिन्होंने चयन की प्रक्रिया में उन्हें मार्गदर्शन और सहयोग प्रदान किया।
रेखा सिंह की कहानी इस बात का प्रमाण है कि विपरीत परिस्थितियों में भी साहस और सकारात्मक सोच के साथ कोई भी लक्ष्य प्राप्त किया जा सकता है। उन्होंने नारी शक्ति और आत्मबल का एक अनुकरणीय उदाहरण प्रस्तुत किया है, जो समाज में प्रेरणा का स्रोत बनेगा।