नई दिल्ली । रूस ने 11 अगस्त को अपने वोस्तोनी कॉस्मोड्रोम से लूना-25 लैंडर की लांचिंग की। 47 साल बाद रूस चंद्रमा के लिए अपना पहला अंतरिक्ष यान रवाना कर चुका है। इसके पहले भारत ने चंद्रमा पर सॉफ्ट लैंडिंग की उपलब्धि हासिल करने की कोशिश में चंद्रयान-3 को चंद्रमा पर भेजा है। चंद्रमा के लिए रवाना किए गए दोनों मिशन दक्षिणी ध्रुव पर सॉफ्ट लैंडिंग करने वाले हैं। इस तरह भारत और रूस चांद पर एक दूसरे के पड़ोसी होने वाले हैं। ऐसा बताया जा रहा है कि लूना -25 चंद्रमा की सतह पर चंद्रयान-3 से पहले ही लैंड करेगा।
बता दें रूस 1976 के बाद पहली बार चंद्रमा पर अपने लूना-25 यान को भेज रहा है। इस यान का प्रक्षेपण यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी की मदद के बिना किया गया है, जिसमें यूक्रेन पर रूसी आक्रमण के बाद मॉस्को के साथ अपना सहयोग समाप्त कर दिया है। रिपोर्ट के मुताबिक रूसी अंतरिक्ष यान के 23 अगस्त को चंद्रमा पर पहुंचने की संभावना है। इसी तारीख को भारत का चंद्रयान-3 के चंद्रमा की सतह पर कदम रखने की उम्मीद है।
दोनों ही देशों ने अपने-अपने यान को चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर उतारने का लक्ष्य निर्धारित किया है, जहां अभी तक कोई भी यान सॉफ्ट लैंडिंग करने में सफल नहीं हो सका है। अभी तक सिर्फ तीन देश, अमेरिका, तत्कालीन सोवियत संघ और चीन चंद्रमा की सतह पर सफल लैंडिंग कर पाए हैं। सब कुछ ठीक रहा तब रूस का लूना 25 और चंद्रयान-3 की दक्षिणी ध्रुव पर मौजूदगी से दोनों देश चांद पर एक दूसरे के पड़ोसी हो जाएंगे। 
रूस की अंतरिक्ष एजेंसी रोस्कोस्मोस के प्रमुख यूरी बोरिसोव के मुताबिक, लूना का लैंडर 21 अगस्त को चंद्रमा की सतह पर उतर सकता है। पहले इसके लैंडिंग की तारीख 23 अगस्त बताई गई थी। उन्होंने कहा कि मुझे उम्मीद है कि चंद्रमा पर बेहद सटीक सॉफ्ट लैंडिंग होगी। लूना-25, लगभग एक छोटी कार के आकार का है, जो चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर एक वर्ष तक काम करने के लक्ष्य से बनाया गया है।
लूना-25 मिशन की सफलता महत्वपूर्ण महत्व रखती है, क्योंकि रूसी सरकार का दावा है कि यूक्रेन संघर्ष के कारण पश्चिमी देशों द्वारा लगाए गए प्रतिबंध से रूसी अर्थव्यवस्था को गंभीर नुकसान पहुंचा है। इसके बाद में पहली बार रूस ने अपने दम पर इस अंतरिक्ष मिशन को लांच किया है।